शशि थरूर का बयान वैसे ही है जैसे कोई महात्मा गांधी की तुलना गौ हत्यारे से कर दे जबकि महात्मा गांधी सबसे बड़े गौ सेवक थे. जानते थे कि गाय का दूध सामिष है जिस पर पहला अधिकार बछड़ा और बछिया का है उसकी संतानों का है। या तो थरूर को इतिहास ,यथार्थ ,और साहित्य की समझ नहीं हैं या कन्हैया की इस तरह तारीफ़ करके वह सोनिया और राहुल को अपनी तरफ से होली का तोहफा दे रहे हैं। बेहूदा प्रयास है यह माँ बेटे को खुश करने का।
आप तो राहुल से भी एक पायदान नीचे खिसक आये' आई क्यू 'में।
महात्मा गांधी और गौ हत्यारा दो विपरीत ध्रुव हैं। ठीक वैसे ही शहीद भगत सिंह और कन्हैया कुमार दो अलग छोर देश प्रेम और देश द्रोह के हैं।
थरूर साहब उपमा समान गुण वालों की ,की जाती है। तुलना करने की प्रक्रिया उपमा कहलाती है। जिससे तुलना की जाए उसे उपमान तथा जिसकी तुलना की जाए उसे उपमेय कहा जाता है।
श्री मन आपका नाम तो संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रस्तावित प्रतिनिधि के रूप में किसी दौर में खूब चला था। आपका इतना अवपतन कैसे हो गया ?अपनी तुलना खुद अपने से ही करके देखियेगा ?
आज आप २३ मार्च से ठीक पहले शहीदे आज़म का अपमान कर रहे हैं। उस भारत माता के शौर्य के प्रतीक का जो हँसते हँसते फांसी के फंदे पे झूल गए थे वन्दे मातरम के उद्घोष के साथ।
आप तो राहुल से भी एक पायदान नीचे खिसक आये' आई क्यू 'में।
महात्मा गांधी और गौ हत्यारा दो विपरीत ध्रुव हैं। ठीक वैसे ही शहीद भगत सिंह और कन्हैया कुमार दो अलग छोर देश प्रेम और देश द्रोह के हैं।
थरूर साहब उपमा समान गुण वालों की ,की जाती है। तुलना करने की प्रक्रिया उपमा कहलाती है। जिससे तुलना की जाए उसे उपमान तथा जिसकी तुलना की जाए उसे उपमेय कहा जाता है।
श्री मन आपका नाम तो संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रस्तावित प्रतिनिधि के रूप में किसी दौर में खूब चला था। आपका इतना अवपतन कैसे हो गया ?अपनी तुलना खुद अपने से ही करके देखियेगा ?
आज आप २३ मार्च से ठीक पहले शहीदे आज़म का अपमान कर रहे हैं। उस भारत माता के शौर्य के प्रतीक का जो हँसते हँसते फांसी के फंदे पे झूल गए थे वन्दे मातरम के उद्घोष के साथ।
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