शुक्रवार, 25 जून 2021

Emergency Part -2 -इन्दु जी क्या हुआ आपको ,क्या हुआ आपको? क्या हुआ आपको? सत्ता की मस्ती में ,भूल गई बाप को?

आपात काल अभी बाकी है ,अतीत जो कभी व्यतीत ही नहीं हुआ -

पूरी झलक दिखाएँगे आपको उल्लेखित लिंक्स (सेतु संग्रह )जो इस टिपण्णी के आखिर में दिए गएँ हैं। आज राजनीति के कई श्यार हुआँ - हुआँ का शोर मचाते खुला घूम रहें हैं कहते चिल्लाते :देश में अब फासीवाद है ,मुसोलिनी इंतजामिया है। जबकि १९७५ में उस महारानी ने ये सोचा न होगा पैंतालीस साल बाद उनका पोता शहज़ादा राहुल सूरत के कोर्ट में लाइन हाज़िर होगा एक आम आदमी की तरह। 

पूछा जा सकता है असली प्रजातंत्र कौन सा है वह जो आजकल दिखता है या फिर वह जो २६ जून १९७५ प्रात : आकाशवाणी से इस उद्घोषणा के साथ उन्नीस महीनों तक आपात काल के नाम से जाना गया। तब प्रजातंत्र था जब पैंतालीस साल पहले संविधानेतर सत्ता का केंद्र एक अदद सुलतान बना हुआ था और उसकी थाप पर स्वप्न नगरी के नामचीन कलाकर 'ता थेइ थेइ तत 'कर रहे थे। कई सम्पादक घुटनों के बल रेंग रहे थे एक अदद मल्लिका के आदेश पर। 

बेशक कुछ गणेशशंकर विद्यार्थी परम्परा के राष्ट्रवादी पत्रकार प्रतिरोध के स्वर लिए मुखरित हुए थे .

उनमें शरीक थे जनवादी लेखक बाबा नागार्जुन ,भवानी प्रसाद मिश्र ,दुष्यंत कुमार ,कुलदीप नैय्यर आदिक।  

पहला बिम्ब -बाबा नागार्जुन (मशहूर जनवादी रचनाकार )

इन्दु जी क्या हुआ आपको

क्या हुआ आपको?
क्या हुआ आपको?
सत्ता की मस्ती में
भूल गई बाप को?
इन्दु जी, इन्दु जी, क्या हुआ आपको?
बेटे को तार दिया, बोर दिया बाप को!
क्या हुआ आपको?
क्या हुआ आपको?

आपकी चाल-ढाल देख- देख लोग हैं दंग
हकूमती नशे का वाह-वाह कैसा चढ़ा रंग
सच-सच बताओ भी
क्या हुआ आपको
यों भला भूल गईं बाप को!

छात्रों के लहू का चस्का लगा आपको
काले चिकने माल का मस्का लगा आपको
किसी ने टोका तो ठस्का लगा आपको
अन्ट-शन्ट बक रही जनून में
शासन का नशा घुला खून में
फूल से भी हल्का
समझ लिया आपने हत्या के पाप को
इन्दु जी, क्या हुआ आपको
बेटे को तार दिया, बोर दिया बाप को!

बचपन में गांधी के पास रहीं
तरुणाई में टैगोर के पास रहीं
अब क्यों उलट दिया ‘संगत’ की छाप को?
क्या हुआ आपको, क्या हुआ आपको
बेटे को याद रखा, भूल गई बाप को
इन्दु जी, इन्दु जी, इन्दु जी, इन्दु जी…

रानी महारानी आप
नवाबों की नानी आप
नफाखोर सेठों की अपनी सगी माई आप
काले बाजार की कीचड़ आप, काई आप

सुन रहीं गिन रहीं
गिन रहीं सुन रहीं
सुन रहीं सुन रहीं
गिन रहीं गिन रहीं
हिटलर के घोड़े की एक-एक टाप को
एक-एक टाप को, एक-एक टाप को

सुन रहीं गिन रहीं
एक-एक टाप को
हिटलर के घोड़े की, हिटलर के घोड़े की
एक-एक टाप को…
छात्रों के खून का नशा चढ़ा आपको

यही हुआ आपको
यही हुआ आपको

दूसरा बिम्ब :भवानी दा -

बहुत नहीं सिर्फ़ चार कौए थे काले / भवानीप्रसाद मिश्र


बहुत नहीं सिर्फ़ चार कौए थे काले,
उन्होंने यह तय किया कि सारे उड़ने वाले
उनके ढंग से उड़े,, रुकें, खायें और गायें
वे जिसको त्यौहार कहें सब उसे मनाएं

कभी कभी जादू हो जाता दुनिया में
दुनिया भर के गुण दिखते हैं औगुनिया में
ये औगुनिए चार बड़े सरताज हो गये
इनके नौकर चील, गरुड़ और बाज हो गये.

हंस मोर चातक गौरैये किस गिनती में
हाथ बांध कर खड़े हो गये सब विनती में
हुक्म हुआ, चातक पंछी रट नहीं लगायें
पिऊ-पिऊ को छोड़े कौए-कौए गायें

बीस तरह के काम दे दिए गौरैयों को
खाना-पीना मौज उड़ाना छुट्भैयों को
कौओं की ऐसी बन आयी पांचों घी में
बड़े-बड़े मनसूबे आए उनके जी में

उड़ने तक तक के नियम बदल कर ऐसे ढाले
उड़ने वाले सिर्फ़ रह गए बैठे ठाले
आगे क्या कुछ हुआ सुनाना बहुत कठिन है
यह दिन कवि का नहीं, चार कौओं का दिन है

उत्सुकता जग जाए तो मेरे घर आ जाना
लंबा किस्सा थोड़े में किस तरह सुनाना ?


सन्दर्भ -सामिग्री :

(१ )https://www.bbc.com/hindi/india-44620564

(२ ) https://hindi.theprint.in/culture/hindi-poet-nagarjun-death-anniversary/35804/

 (३)https://www.youtube.com/watch?v=HhD0-gm7PWc

(४ )http://kavitakosh.org/kk/%E0%A4%AC%E0%A4%B9%E0%A5%81%E0%A4%A4_%E0%A4%A8%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%82_%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AB%E0%A4%BC_%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%B0_%E0%A4%95%E0%A5%8C%E0%A4%8F_%E0%A4%A5%E0%A5%87_%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A5%87_/_%E0%A4%AD%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A6_%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B0

इमरजेंसी, इंदिरा गांधी, संजय गांधी, जेपी आंदोलन, जय प्रकाश नारायण


मंगलवार, 22 जून 2021

बधाई हो बधाई जन्म दिन की तुमको , जन्मदिन तुम्हारा मिलेंगे लड्डू हमको .....




प्रस्तुत वीडियो में प्रेरणा मूर्ती  श्री श्री  भारती श्री जी ,युवा भीड़ को जन्मदिन के मंगल मौके पर मांगलिकता के प्रतीक दीप  प्रज्वलन के महत्व को रेखांकित करती हुई भारतीय संस्कृति और परम्परा से वाकिफ करवातीं हैं। कहना न  होगा दीपक की लौ आत्मा का प्रतीक है। दीप शिखा की लौ दिवाली को ही रोशन नहीं करती हर मांगलिक पर्व पर इसका महत्व रहा है गृह प्रवेश से गृह त्याग तक। यहां तक के जब ये आत्मा शरीर छोड़ जाती है तेरह दिन तक घर को दीप से रोशन रखा जाता है खासकर उस कमरे को जहां शव रखा गया था। एक बरस बाद गंगा के वक्ष पर  दीप  दान किया जाता है।  पुण्य दिवंगत आत्मा के  परलोक में भी रोशन रहने की कामना के साथ उसे विदा किया जाता है। 

जन्मदिन आगे की और है आगामी बरस जगमगाये इसके प्रतीक स्वरूप कीर्ति एक बड़ा दीपक जन्मदिन पर प्रज्वलित करने की परम्परा से युवक युवतियों को वाकिफ  करवातीं हैं।बड़ा दीपक घर के मुखिया के आशीष का भी प्रतीक है। इस मौके पर पांच तत्वों के पूजन का भी विधान है आखिर ये शरीर पंचभूता ही तो है जल वायु अग्नि पृथ्वी आकाश का संयोजन और मृत्यु और कुछ नहीं हैं इन पांच तत्वों का वियोजन है पदार्थ का पंचभूतों के सांद्र रूप का चेतन ऊर्जा सूक्ष्म आत्मा में रूपांतरण मात्र ही तो है। मरता कुछ नहीं हैं शरीर तो पहले ही जड़ है जिसे  हम मृत्यु कहते हैं वह कायांतरण मात्र है और जन्म दिन का मतलब है एक साल और गिरह से निकल गया। गिरह कट (पॉकिट मार )होती है सालगिरह। 

जीवन और मृत्यु दो दरवाज़े हैं जीव आत्मा एक से निकल कर दूसरें में प्रवेश करता रहता है जब तक वह आवाजाही के इस चक्र से मुक्त नहीं हो जाता और वह तभी मुमकिन हो पाता है जब वह खुद को जान लेता है समझ लेता है वह इस शरीर तक सीमित नहीं है जिसके माध्यम से जीवात्मा खुद को अभिव्यक्त करता है। शरीर तो मात्र उसका परिधान है पैरहन है ,जीवात्मा (आत्मा )सच्चिदानंद है सत चित आनंद है। सत्यम ज्ञानम् अनंतं। ये जो कुछ है गोचर अगोचर दृश्य अदृश्य एक ही चेतना का विस्तार है असीम ज्ञान असीम आनंद केवल यही एक मात्र सत्य है।     
https://www.youtube.com/watch?v=dxD_Njx9f_4

Divine Birthday - Prernamurti Bharti Shriji

8,986 views
Dec 12, 2017
For More Information Visit : http://www.prernamurti.com/ Join our official page on Facebook http://www.facebook.com/bhartishriji

[Simca] Sangeeth Sagar (on behalf of Sagar Music); [Simca Pub] South India digital Music Management, Kobalt Music Publishing, and 3 Music Rights Societies 

सोमवार, 14 जून 2021

सरसों का तेल क्यों मंहगा हुआ?




सरसों का तेल क्यों मंहगा हुआ?



Unblend pure mustard oil is now available in Modi regime first time ,hence it is selling at a high prise
what was selling as mustard oil was palm oil mixed with mobil oil a stuff containing carcinogens in the long run producing cancer group diseases .Thank you Narendra Damodar Modi the proud of India . .

सरसों का तेल मंहगा क्यूँ हुआ ?...जानिये सच्चाई 

हम भारत के लोग... पिछले 30 सालों से सरकार द्वार मान्यता प्राप्त मशीन ऑयल...  सरसों के तेल के नाम पर खा रहे थे... 

मोदी सरकार ने 30 साल पुराना फैसला पलट दिया है इसलिए अब शुद्ध सरसों का तेल महंगा हो गया है...

हमारे देश में जिन पार्टियों ने राज किया है उन्होंने देश के साथ क्या क्या धोखेबाजी की है...
ये जानकर आपको आश्चर्य होगा कि साल 1990 में वी पी सिंह की सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी किया था और इस नोटिफिकेशन के माध्यम से सरसों के तेल में ब्लेंडिंग को मान्यता दे दी गई थी ब्लेंडिंग का मतलब होता है मिलावट करना...

दरअसल मिलावट शब्द का यूज जब पॉजिटिव तरीके से किया जाता है तो उसे ब्लेंडिंग कहा जाता है...

लेकिन इस ब्लेंडिंग के नाम पर भारत के लोगों के साथ बहुत बड़ा धोखा किया गया आप अब तक बाजार से खरीदा हुआ जो सरसों का तेल आप खा रहे थे उसमें 20 प्रतिशत सरसों का तेल और 80 प्रतिशत पाम ऑयल या दूसरे बेकार चीजें थी।

लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति ये रही कि इसके बाद भी 80 प्रतिशत पाम ऑयल वाली बोतल को सरसों का तेल बताकर ही बेचा जा रहा था सरसों के तेल को गाढ़ा करने के लिए मोबिल ऑयल भी मिलाया जा रहा था

क्योंकि पाम ऑयल पतला होता है और मोबिल ऑयल मिलाकर उसे सरसों की तरह गाढ़ा किया जा रहा था बहुत सारे फ्रॉड लोग सरसों का तेल बेच बेच कर करोड़पति अरबपति बन गए पिछले 30 सालों से...

लेकिन अब 8 जून से देश में ब्लेंडिंग ऑयल पूरी तरह से बंद हो गया है, पाम ऑयल सस्ता होता है इसलिए कथित सरसों का तेल (जो सरसों था भी नहीं) सस्ता बिक रहा था लेकिन अब ब्लेंडिंग बंद करने के सरकार के फैसले के बाद शुद्ध सरसों का तेल बिकेगा इसलिए अब सरसों के तेल की कीमतें बढ़ गई हैं 

देश में पिछले 30 सालों से सरसों के तेल मे सबसे ज्यादा मिलावट हो रही थी लेकिन मोदी सरकार ने देश के फायदे को देखते हुए ब्लेंडिंग को बंद करने का आदेश दिया है

पिछले 30 सालों से मिलावटी सरसों के तेल की वजह से देश को दो तरीके से नुकसान हो रहे थे....

पहला आपकी सेहत को नुकसान हुआ और दूसरा किसानों को चपत पड़ रही थी क्योंकि जब 20 प्रतिशत सरसों का तेल इस्तेमाल होगा तो सरसों के तेल की मांग घटने से किसानों को सरसों के तेल की सही कीमत नहीं मिलेगी और ना ही उनकी सरसों बिकेगी...

लेकिन इस बार पंजाब और हरियाणा में सरसों की रिकॉर्ड खऱीद हुई है जो शुभ संकेत है मिलावट में इस्तेमाल होने वाला पाम ऑयल भी विदेशों से इम्पोर्ट हो रहा था...

मतलब 30 सालों से भारत की सरकारें बीमारियों वाले तेल को इम्पोर्ट कर रहे थे...

और अपना नुकसान झेलकर विदेशों को फायदा करवा रहे थे और इसमें से एक देश ने तो कश्मीर पर पाकिस्तान का समर्थन भी कर दिया था

अब जरा हिसाब लगाइए मानिए कि आपको शुद्ध सरसों का तेल खऱीदने से 10 सालों में 10 हजार रुपए ज्यादा देने पड़े हैं लेकिन अगर इस मिलावटी सरसों के तेल से कैंसर हो जाता है तो सीधे 10 साल बाद 15 लाख रुपए का बिल फटेगा।

तो अपनी सेहत को बर्बाद करना सही नहीं है। आपको जानकर हैरानी होगी कि 2018 में ही यूरोपियन यूनियन के सभी देश पाम ऑयल पर बैन लगा चुके हैं।

भारत सरकार ने पाम ऑयल पर बैन लगाकर एक तीर से कई निशाने लगाए हैं जो देश के हित में है इसलिए थोड़ा महंगा सरसों का तेल खाकर भी सरकार का साथ दीजिए...


देश का साथ दीजिये...🙏

सेहत गयी भाड़ में, मोदी ने तेल महंगा कर दिया 
मोदी इस्तीफा दो

Simple Maths
Let's do some maths

mustard is sold at 7000 for 100 kg
1Lt oil need 3kg nustard

70x3=210

market cost of oil today 200-250 

मंगलवार, 1 जून 2021

सेंट्रल विस्टा मामले में भी आप रस्सा लेके कूद रहे थे। कूदो भाई सेहत के लिए अच्छा है।राफेल पे तुम पिटे हो बेहतर है अपनी जुबां का प्रयोग करो अपने सोहबत दुरुस्त कर लो।

कठघरे में खड़ी टीकाकरण नीति -दैनिक जागरण (२ जून )रणदीप सिंह सुरजे वाला 

इसे कहते हैं आग्रह मूलक लेखन। पहले निष्कर्ष निकाल लो फिर तर्क ढूंढों एक लेख में सौ बार मोदी मनका फेरो। मोदी  मार दिया हिन्दुस्तान ...   

इस कांग्रेसी शुक के बारे में मेरे अज़ीमतर दोस्त कहा करते थे -सुरजा जिसका अपना नहीं कोई पुर्जा मुंह में ट्वीट  गांधी की जुबां भेजे में झूठ का पुलिंदा। ज्ञान का अभाव असत्य है। एक कहावत है :

जाको काम ताही  को सोहे  

अलबत्ता आप एक काम में बेहद प्रवीण हैं। इस काम में सारा भारत आपका लोहा मानता है। आप जानते ये ५१ साला अबुधकुमार  मतिमंद बालक कांग्रेसमणि लाल रंग के अधोवस्त्र पहनते हैं। आप कभी भी निरसंकोच उन्हें हनुमान भक्त घोषित कर सकते हैं। आप यह भी जानते हैं वह जनेऊ पहनते हैं दत्तात्रेय कौल हैं चैं चैं गांधी  और वह कश्मीरी ब्राह्मण हैं। 

स्वामी असत्यानांद जी -गूगल बाबा जानता है घियासुद्दीन गाज़ी एक शहर कोतवाल था।अँगरेज़ उन दिनों मुगलिया अवशेषों को चुन चुन कर मार रहे थे।  ये जान बचाने के लिए  गंगाधर से गंगाधर नेहरू हो गए। नरेंद्र नाथ इनके छोटे भाई   नरेंद्र नाथ नेहरू हो गए ।  क्योंकि वह नहर के किनारे रहते थे तब जब जमुना चांदनी चौक से होकर  बहती थी। ये दो भाई ही थे । यही वंशवेल पूरी जिनियालोजी नेहरुवंशावली के रूप में गूगल पर  मौजूद है। 

देखें सेतु :https://www.speakingtree.in/blog/hidden-facts-about-the-nehru-gandhi-dynasty-178195

वेक्सीन आपका विषय नहीं है जिन देशों का आपने हवाला दिया है उनकी कुलमिलाकर आबादी भारत के बराबर ठहरती है यहां सिर्फ एक मोदी है। और वहां गणना कर  लो इस काम में आप माहिर हैं। आपके सवाल में ही ज़वाब छिपे हैं शुक्राचार्य जी। ये विकसित  देश तमाम तरीन टीकों पर मारे आशंका के कुंडली मारे के बैठ गए हैं। 

भारत दिसंबर २०२१ तक १४० करोड़ की आबादी को वेक्सीन मुहैया करवा देगा उस दिन आप काला कोट  उतार के फेंक देना।  रतौंधी ग्रस्त आँख को कुछ दिखाई नहीं देता।रात दिन काम हो रहा है वेक्सीन बन रही है बाहर से भी आ रही  हैं उस आर्डर पर जो समय से बहुत पहले दिया गया था। 

 हम सब यहीं हैं आपके आसपास आपके हर फरेब मक्कारी और अफवाह पर हमारी नज़र है। जाओ कंट्री साइड मालूम है तो लोगों को टीकों का महत्व बतलाओ जो आपके मौसेरे  ने टीकों को लेके बेहद डराए हुए हैं। हरा चश्मा उतार दो ज़नाब वेक्सीन न भगवा है न इसे लगवाने से कोई नपुंसक हुआ है। आकड़े आप खुद दे चुके हैं कितने लोग लगवा चुके हैं टीका।कोई नपुंसक हुआ।  

सेंट्रल विस्टा मामले में भी आप रस्सा लेके कूद रहे थे। कूदो भाई सेहत के लिए अच्छा है।राफेल पे तुम पिटे हो बेहतर है अपनी जुबां का प्रयोग करो अपने सोहबत दुरुस्त कर लो।   

Jai Hind

Some hidden facts about the Nehru-Gandhi dynasty

The Nehru-Gandhi dynasty starts with the Mughal man named Ghiyasuddin Ghazi. He was the City Kotwal i.e. police officer of Delhi prior to the uprising of 1857, under the Mughal rule. After capturing Delhi in 1857, in the year of the mutiny, the British were slaughtering all Mughals everywhere. The British made a thorough search and killed every Mughal so that there were no future claimant to the throne of Delhi. The Hindus on the other hand were not targeted by the British unless isolated Hindus were found to be siding with the Mughals, due to past associations. Therefore, it became customary for many Mohammedans to adopt Hindu names. So, the man Ghiyasuddin Ghazi (the word means kafir-killeradopted- a Hindu name Gangadhar Nehru and thus saved his life by the subterfuge. Ghiyasuddin Ghazi apparently used to reside on the bank of a canal (or Nehr) near the Red Fort. Thus, he adopted the name ‘Nehru’ as the family name. Through out the world, we do not find any descendant other than that of Gangadhar, having the surname Nehru. The 13th volume of the “Encyclopedia of Indian War of Independence” (ISBN:81-261-3745-9) by M.K. Singh states it elaborately. The Government of India have been hiding this fact.

 

City Kotwal was an important post like today’s Commissioner of Police. It appears from Mughal records that there was no Hindu Kotwal employed. It was extremely unlikely for a Hindu to be hired for that post. Compulsorily only Mohammedans of foreign ancestry were hired for such important posts.

 

Jawaharlal Nehru's second sister Krishna Hutheesing also mentions in her memoirs that her grandfather was the city Kotwal of Delhi prior to 1857’s uprising when Bahadur Shah Zafar was still the sultan of Delhi. Jawaharlal Nehru, in his autobiography, states that he have seen a picture of his grandfather which portrays him like a Mughal nobleman. In that picture it appears that he was having long & very thick beard, wearing a Muslim cap and was having two swords in his hands. Jawaharlal Nehru also states in his autobiography that on their way to Agra (a seat of Mughal influence) from Delhi, the members of his grand father’s family were detained by the British. The reason for the detention was their Mughal features. They however pleaded that they were Kashmiri Pandits and thus got away. The Urdu literature of the 19th century, especially the works of Khwaja Hasan Nizami, are full of the miseries that the Mughals and Mohammedans have to face then. They also describe how Mughals escaped to other cities to save their lives. In all probability, Jawahar Nehru's Mughal grandfather and his family were among them.

~*~*~*~*~*~

Jawaharlal Nehru was a person that India adores. He was undoubtedly a very sound politician and a gifted individual. But, the Government of India has not built a memorial of Jawaharlal Nehru at his birth place 77 Mirganj in Allahabad, because it is a brothel. The entire locality is a well known red light area since long. It has not become a brothel recently, but it has been a brothel even before Jawaharlal Nehru’s birth. A portion of the same house was sold by his father Motilal Nehru to a prostitute named Lali Jaan and it came to be known as “Imambada”. If you have some doubt, you may visit the place. Several dependable sources and also encyclopedia.com & Wikipedia say this. Motilal Nehru along with his family, later shifted to Anand Bhawan. Remember that Anand Bhawan is Jawaharlal Nehru’s ancestral house and not his birth place.

M. O. Mathai of Indian Civil Service served as the Private Secretary to Prime Minister Jawaharlal Nehru. Mathai has written a book “Reminiscences of the Nehru Age” (ISBN-13: 9780706906219).In the book Mathai reveals that there was intense love affair between Jawaharlal Nehru and Edwina Mountbatten (wife of the last Viceroy to India, Louis Mountbatten). The romance was a source of great embarrassment for Indira Gandhi, who used to seek Maulana Abul Kalam Azad’s help in persuading her father to be little discreet about their relationship.  


Image result for रणदीप सिंह सुरजेवाला images photos
Image result for रणदीप सिंह सुरजेवाला images photos
Image result for रणदीप सिंह सुरजेवाला images photos
Image result for रणदीप सिंह सुरजेवाला images photos
Image result for रणदीप सिंह सुरजेवाला images photos
Image result for रणदीप सिंह सुरजेवाला images photos
Image result for रणदीप सिंह सुरजेवाला images photos
Image result for रणदीप सिंह सुरजेवाला images photos
Image result for रणदीप सिंह सुरजेवाला images photos